पूजा के समय आसन पर बैठना क्यों होता है जरूरी। पंडित श्री प्रदीप मिश्रा सीहोर वाले

 पूजा के समय आसन पर बैठना क्यों होता है जरूरी। पंडित श्री प्रदीप मिश्रा सीहोर वाले



श्री प्रदीप मिश्रा सीहोर वाले छत्तीसगढ़ तिल्दा नेवरा में कावड़ी महा शिव पुराण की कथा में कहा कि आसन में बैठना और सत्संग में आते समय आसन को साथ में लेकर बैठना उस बैठे हुए आसन को हमेशा अपने साथ अपने घर के मंदिर में उपयोग में लाने से अत्यधिक ही लाभ प्रदान किया जा सकता है इसलिए कभी भी सत्संग में आए तो अपने साथ आसन को भी साथ लेकर आए जिससे आपको सत्संग का पूरा लाभ जीवन भर मिलता रहे।


पूजा के समय आसन पर बैठना आध्यात्मिक और मानसिक ध्यान को सुखद बनाने के लिए किया जाता है। यह केवल शारीरिक स्थिति नहीं होती, बल्कि इससे मन, शरीर और आत्मा के बीच संवाद और सांयुक्तता का अनुभव होता है। आसन पर बैठकर ध्यान और पूजा के समय व्यक्ति अपने आप को पूरी तरह से लगातार एक विशिष्ट काम में समर्पित कर पाता है।

पूजा के समय आसन पर बैठना हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण परंपरा है। यह साधना, ध्यान, और अन्य धार्मिक क्रियाओं को सुखद और शांतिपूर्ण बनाने का एक तरीका होता है। आसन पर बैठने से शरीर का स्थिरता मिलता है और मानसिक शांति बनी रहती है। इसके साथ ही, आसन पर बैठकर आत्मा के साथ संवाद स्थापित किया जा सकता है और ध्यान केंद्रित हो सकता है।

पूजा के समय आसन पर बैठने का कारण यह हो सकता है कि यह आपको आध्यात्मिक तत्वों के साथ जोड़ता है और आपको ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है। यह आपकी मानसिक शांति और ध्यान को स्थिर करने में मदद कर सकता है, जिससे आप श्रीभगवान शिव तत्व या आपके पूजनीय देवताओं के साथ अधिक संवाद कर सकते हैं।

पूजा के समय आसन पर बैठना हिन्दू धार्मिक परंपरा में महत्वपूर्ण है। यह आध्यात्मिक उन्नति को संरक्षित रखने, मानसिक शांति को बढ़ावा देने और दिव्यता का अनुभव करने में मदद करता है। यह आध्यात्मिक साधना को सहयोग प्रदान करता है और ध्यान को स्थिरता देने में मदद करता है।


पूजा के समय आसन पर बैठना हिन्दू धर्म में एक पारंपरिक अभ्यास है, जिसका मुख्य उद्देश्य शांति, ध्यान और साधना में मदद करना होता है। यह बैठने का तरीका शारीरिक स्थिति को स्थिर करने और मानसिक अवस्था को साकार बनाने में सहायक होता है, ताकि पूजा करने वाला व्यक्ति आत्मा को परिपूर्णता की ओर दिशा में प्रवृत्त हो सके। इसके साथ ही, आसन पर बैठकर पूजा करने से शारीरिक और मानसिक तनाव कम होता है और ध्यान में सहायक होता है।



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